भारत नेपाल मैत्री सम्बन्ध का इतिहास बहुत पुराना है। मोदी सरकार ने
नेपाल की आपदा में बढ़- चढ़ कर आर्थिक सहायता पहुंचाई ,चीन ने भी नेपाल के
पुनर्निर्माण सराहनीय मदद की,जिससे दोनों देशो के रिश्ते प्रगाढ़
हुवे,नेपाली और चीनी जनता के मध्य सहयोग बढ़ा,शायद यही से नेपाल -भारत के
रिश्ते में कडुवाहटशुरू हुई। चीन की ओऱ नेपाल का ज्यादा उदार होना
स्वाभाविक है कि भारत नागुवार होगा। हिन्दुस्तान का नेपाल के साथ
सांस्कृतिक संबंध है. विश्व का एक मात्र हिन्दू राष्ट्र होने का अस्तित्व
मिटता देख,भारत बेचैन है। प्रश्न ये है कि भारत बदलते परिवेश में नेपाल की कम्युनिस्ट, धर्म निरपेछ ,सरकार के साथ भारत अपने रिश्ते कैसे सामान्य कर सकेगा। जहाँ चीन ने पुराने बंद हो चुके व्यापारिक रास्ते,नेपाल के लिए पुनः खोल दिए हैं। नेपाल सरकार ने भी चीन के संग बड़े ब्यापारिक सम्बन्धो की नई शुरूवात की पहल की है। पेट्रोलियम उत्पादों की भारत की सबसे बड़ी कम्पनी इंडियन आयल कारपोरेशन,जो की नेपाल को पेट्रोल उत्पादों की आपूर्ति करती थी उसे नेपाल ने बंद कर चीन के साथ समझौता किया है। नेपाल सरकार के ये निर्णय से साबित होता है कि नेपाल पूर्णतः भारत पे निर्भर न रह कर बल्कि नए, मित्र बनाने की पहल करेगा।नेपाली जनता भी, विश्व के अन्य देशो के साथ सम्बन्ध बनाने की पक्छ्धर है.जिसे एक अच्छी पहल कही जा सकती है।
बुधवार, 28 अक्तूबर 2015
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