जाट आंदोलन इस बार भी हिंसक हो चुकाहै़ सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश और हरियाणा सरकार की प्रतिबद्धता भी आरछण के इस दावानल की अग्नि को शांत नही कर पाये .सरकारे चुनाव में एैसे वायदे भी कर लेती है जिनको वो संवैधानिक रूप से पूरा कर पाना असंभव होता है.हिंसा पर उतारू जाट शासकीय संपत्तियों पर अपना गुस्सा निकाल रहे है.स्थिति राज्य सरकार के पुलिस,अर्ध सैनिक बलों के नियंत्रण से बाहर होता देख सेना को बुला लिया गया है .जो सेना देश के बाहरी दुश्मनों से लड़ने के लिये है उसे अपने ही देश के नागरिको को नियंत्रण करना पड़ रहा है.सड़के जाटों से भरी हुई है सेना को हेलीकाप्टरों द्वारा उतारा जा रहा है.
जाटो की मांग पुरानी है केंद्र और राज्य सरकारों को ईमानदारीपूर्वक इस समस्या का समाधान ढूंढने का प्रयास करना होगा.
शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016
जाट आंदोलन और राजनीति.
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